राम राज्य
राम राज्य
कैसा होता होगा सोचने बैठूँ!
हर जीव अपनी नैसर्गिक
ज़िन्दगी जिये॥
सब को अपने संकल्पों में
अभिरुचियों में
सपने पूरे करने का मौक़ा मिले ॥
जाति धर्म विचार योग
साधना सब हों
पर व्यक्तिगत॥
हमने देखा
भाग्य अभाग्य
सौभाग्य दुर्भाग्य
उचित अनुचित
राम रावण
पाप व्याभिचार
यश अपयश
कर्म अकर्म
सब साथ साथ जीते रहते हैं,
सो सब को जगह मिले॥
योगी भी हों भोगी भी हों
कर्मठ भी हों निठल्ली भी हों
रसिक भी हों गणिकायें भी हों॥
बस अतिक्रमण ना करें कोई !
सबको खाना मिले, स्वास्थ्य मिले
और अतिक्रमण पर न्याय मिले॥
जब सब अपने अपने शौक़ों में जीयेंगे
तो क्लेश आतंक कहाँ ?
नेतृत्व कर्मशील कर्मठ गम्भीर
यशकामीयों के पास हों॥
बहुत बड़े सपने ना हों,
होड़ ना हो
सन्तुष्ट भाव का फैलाव हो
सम्पन्नताओं से भरा॥
सम्पन्नता किसे कहें
जी भर के जिये सन्तृप्त
जीवन को॥
साधन सब के हों
साधक सब हों अपने अपनी पसन्द के॥