हाल-ए-दिल
हाल-ए-दिल
गा रहा हूँ मैं आज, अपने ग़म सभी भुलाने को
हौसला शराब का है, हाल-ए-दिल सुनाने को
राज दिल में लाखो अपने, आज सबको खोलना है
लोग रुस्वा हो भले ही, एक- एक कर बोलना है
मर गए तो क्या मरेंगे, जी कर भी करना है क्या?
कुछ ना उससे राबता है, अब भला डरना है क्या?
आज अपनी बेहयायी, सबको हम दिखाएंगे
जो भी लेने आये है हम, साथ लेकर जाएंगे
होश में लौटे हैं हम, बोतले पीने के बाद
खो चुके है अपनी गैरत, एक तेरे मिलने के बाद
चाहे जो इलज़ाम धर दे, हम नहीं कतराएंगे
तेरे हर सवाल का हम, जवाब देते जाएंगे
दे हिसाब उन पलों का, हमने जो गवाएं है
बिन किसी गरज़के हमने, तुझपे सब लुटाएं है
दे सके तो वो भी देना, चैन जो तूने लिया
उनका भी हिसाब देना, दर्द जो तूने दिया
हर ख़ुशी को छोड़ा हमने, हर हँसी नकार दी
तेरी खातिर ये जवानी, बस युहीं गुजार दी
तू खुश है घर किसी, गैर का सवार कर
अपने बच्चों को मेरे, नाम से पुकार कर
ख्वाहिशे बूढी हुई पर, आशिकी जवान है
एक बार मिलु मैं तुझसे, बस यही अरमान है
जानता हूँ तू मुझे, फिर मान भी ना पाएगी
याद होगा सब तुझे, पर याद करना ना चाहेगी।