हम खुद से थोड़ा दूर हुए और सबको भाने लग गए। हम खुद से थोड़ा दूर हुए और सबको भाने लग गए।
इतने आततायी क्यूँ बनो क्या ये तुम्हारे सगे नहीं हैँ । इतने आततायी क्यूँ बनो क्या ये तुम्हारे सगे नहीं हैँ ।
समाज की तस्वीर का बखान क्या करें साहब ? समाज की तस्वीर का बखान क्या करें साहब ?
आधुनिकता के चक्रव्यूह में हम ऐसे फँसते जा रहे हैं. आधुनिकता के चक्रव्यूह में हम ऐसे फँसते जा रहे हैं.
गा रहा हूँ मैं आज, अपने ग़म सभी भुलाने को हौसला शराब का है, हाल-ए-दिल सुनाने को. गा रहा हूँ मैं आज, अपने ग़म सभी भुलाने को हौसला शराब का है, हाल-ए-दिल सुनाने क...