हिन्दी- मेरी मातृभाषा
हिन्दी- मेरी मातृभाषा
मैं यह नहीं कहती
इंग्लिश या कोई और
भाषा न पढ़ी जाए
भाषाएं सब अच्छी हैं।
ज्ञान जितना बढ़ जाए
उतना अच्छा
देश विदेश की जितनी
भाषाएं सीखी जाएं
उतना बढ़िया।
पर हिन्दी है
हमारी मातृभाषा
और है राष्ट्रीय भाषा।
बहुत ज़रूरी है
इसमें निपुण व गर्वित होना।
प्रथम स्थान क्षेत्रीय भाषा
द्वितीय स्थान स्वदेशी भाषा
हिन्दी
फिर नम्बर आता है अंग्रेज़ी का।
संस्कृत से उपजी यह भाषा
जितनी वैज्ञानिक है
उतनी ही तर्कसंगत।
जैसा बोलेंगे वैसा लिखेंगे
जैसा लिखेंगे वैसा पढ़ेंगे।
है कोई ऐसी अन्य भाषा ?
रिवाज चल पड़ा है
बच्चों को अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़ाएंगे
बच्चे आधुनिक कहलाएंगे
न अंग्रेजी आए
न हिन्दी पर प्रभुत्व जमे
विद्यार्थी रह जाते हैं
ठन ठन गोपाल।
हिन्दी स्कूलों में
पहली क्लास में
पढ़ाए जाने वाले
साधारण से शब्द
उनान्वे पचान्वे सतान्वे नियान्वे
कई अन्य प्रतिदिन प्रयोग में
लाए जाने वाले शब्द
किसी बच्चे से पूछो
उत्तर मिलेगा
क्या? क्या कहा?
गद्य हो या पद्य
हिन्दी साहित्य
एकदम सम्पन्न
शब्दकोश, इतना प्रचुर
लचीली इतनी
किसी भी भाषा का
कोई भी शब्द
प्रवेश कर जाए
हम स्वागत करने को तैयार।
आइए प्रण करें
इसे हम सब मिल कर
किसी भी विलुप्त
होने की साजिश से बचाएँ।
इसको आकाश की ऊँचाइयों
समुद्र की गहराई तक ले चलें।