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Navneet Gupta

Inspirational

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Navneet Gupta

Inspirational

धर्म और राष्ट्र

धर्म और राष्ट्र

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सदैव सेखलबली मचाता

ये मंच॥


जानलेवा

जब भी 

जो अतिवादी हुआ॥

मैं भी सोंचू 

गुत्थी कैसी?


धर्म

मानव विकास

में जीवन शैली को बदलता

खानपान सोचविचार योग

सामाजिक सुरक्षा

नरनारी व्यवस्था

भाव रहता है॥

धीरे धीरे 

कालातीत होना 

इनको जीवन देता॥


राष्ट्र

एक राजनैतिक

विकास की, दिशा में एक समूह रचना

अपने विकास से ऊपर समाज सेवा हो 

तो उत्कृष्ट भाव॥

इनका भी जीवन काल

निर्धारित होता

निर्भर करता

नेतृत्व पर, सीमाये बदलती 

देखी जाती हैं॥


अनेक क्षेत्रों जहां देश धर्म आधारित 

सुखी होगें वो

अनेक जहां राष्ट्रीय भाव

सुखी और विकास शील वो

अनेक वो जहां मिश्रित तटस्थ भाव

कटते मरते वो अविकसित ॥


चलने दो

जिसको /

जिस समुदाय को जो पसन्द

कटना मरना

नैसर्गिक जीवन पूरा ना कर

अधूरा रहना , उनकी नियति॥



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