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Navneet Gupta

Abstract Inspirational

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Navneet Gupta

Abstract Inspirational

जोडा_ कबूतर

जोडा_ कबूतर

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सोचा येकि करीबियत कबूतर

से की जाय!

वास्ता

कबूतर कबूतरी

दोनों से युगल रूप

में मिली!


वो तो एक ही दिन 

में ज़िन्दगी का

फ़लसफ़ा दे गये

दोनों के दोनों॥

पहिले तो ये 

कि कबूतरों ने 

चारे पर . थाली पर

दूसरे कबूतरे को ना आने दिया

कबूतरी के अलावा॥


दूसरे से कि सुबह के बाद

दोनों बचा दाना 

दोपहार को खा गये॥

लगा हम इंसानों की

भूख नहीं रुकती

फ्री मिले तो 

बिल्कुल भी नही ॥

चाहे डाक्टर के यहाँ 

परिक्रमा होती रहे॥

समझ आया अब

जंगल के जीवन

में डाक्टर क्यूँ नहीं ?


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