STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

मुखौटा

मुखौटा

1 min
353


कौन कहता है कि

आज के युग में जीना कठिन है,

सच मानिए

विश्वास न हो तो

एक बार प्रयोग करके देखिये,

सौ प्रतिशत वारंटी है

सफलता की मेरी है।


बस मुखौटा बदलने का

हुनर होना चाहिए,

मन और चेहरे के भावों में

छत्तीस का अंतर होना चाहिए।

वाणी, व्यवहार से साधु

कर्म कसाई सा होना चाहिए,

मौका आपके अनुकूल न हो तो

चापलूसी में माहिर होना चाहिए।


मौके की तलाश में

गिद्ध जैसा शातिर होना चाहिये,

बस जरा सा मौका मिले तो

पूरा कसाई बन&nb

sp;

काम तमाम कर लेना चाहिए,

बकरे की विवशता और पीड़ा को

नजरअंदाज करते रहना चाहिए।


औरों की लाशों पर

अपनी खुशियों के महल 

खड़ा करने का 

बस जिगर होना चाहिए।

रंग बिरंगे मुखौटों का

अपने पास संग्रह होना चाहिए,


समय के साथ साथ बिना दुविधा के

मुखौटा बदलते रहना चाहिए,

अपनी हर ख्वाहिश के लिए

बिना चूक अपने मुखौटे 

समय से बदलते रहना चाहिए,

अपने खुशहाल जीवन का

बस लुत्फ उठाते रहना चाहिए,

मुखौटों का खेल खेलते रहना चाहिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract