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Phool Singh

Abstract

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Phool Singh

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तालमेल

तालमेल

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उम्र भी बढ़ रही धीरे-धीरे, ना जवानी फिर से आएगी 

आयोडेक्स की खुशबू प्यारी, मन को ना इत्र की खुशबू भायेगी।।


मिलना-जुलना जारी रखना, ना पलटकर ये घड़ियाँ आयेगी 

मौज-मस्ती करने की शक्ति शरीर में, एक दिन हो नजर भी कमजोर जायेगी।।


परिवार भी तेरे साथ अभी तो, सभी की सहभागिता रंग दिखलायेगी 

नोक-झोंक भी थोड़ी-बहुत है, पर ये जीवन में खुशियाँ लायेगी।।


पहरा होगा बीमारी का हरदम, यारी डाक्टर से हो जायेगी 

खुशनसीब होगा कोई अनोखा, जिसे बीमारी कभी ना छू पायेगी।।


छोड़ो ना यूं यारों से मिलना, ये बहुत काम फिर आयेगी 

छोटी-मोटी तकलीफो तो ये, क्षण में दूर भगायेगी।।


नई पीढ़ी तैयार हो रही, जो भिन्न तकनीकी साथ में लायेगी 

उनसे बराबरी कभी ना करना, ये रिश्तों में विरोध बढ़ायेगी।।


स्वागत करना नए विचारों का, जो अनुभव नया दिलायेगी 

तालमेल होगा जो दोनों पीढ़ी का, घर में लक्ष्मी भी दौड़ी आयेगी।।


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