Phool Singh

Others

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राम श्री राम

राम श्री राम

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बनकर देखो राम के जैसा

तभी समझ कुछ पाओगे

कितना दर्द और कितनी पीड़ा थी, क्या तुम उसे सह पाओगे।।


बात बनाना बहुत आसान है

क्या ऐसी जिंदगी जी पाओगे

छोटी उम्र में मात-पिता को छोड़कर, वो आदर्श स्थापित कर पाओगे।।


सीख शिक्षा के सारे पहलू

क्या गुरु को खुश कर पाओगे

दूसरों की खुशी की खातिर, क्या सब त्याग कर जाओगे।।


कंदमूल खा सब सुख-सुविधा गवांकर

गांव-नगर भी नही जा पाओगे

राजकुमार तुम रहते हुए भी, क्या वनवासियों-सी जिंदगी जी पाओगे।।


वनमानुष के संग में रहकर

रीछ लंगूरों की मित्रता पाओगे

समझ न सके जो तुम्हारी भाषा, कैसे उसे समझाओगे।।


मन मानकर नही ये सब 

क्या निरोध सहन कर जाओगे

तभी जानोगे उनके त्याग को, अश्रु जब अपने प्रेमी की याद में बहाओगे।।


न कटाक्ष करोगे न बात करोगे

दिन रात अश्रु बहाओगे

खोजते फिरोगे अपने गलतियां, दिन जब बिन गलती के दुःख में बिताओगे।।


आसान न होता आदर्श स्थापित करना

शायद कभी समझ न पाओगे

नियम बनाना बहुत आसान है, पर उसे निभा कभी न पाओगे।।


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