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Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

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Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

होली है

होली है

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होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे

शत्रुता को ये मिटा, उन्हे बनाती हमजोली रे

होली आई होली आई, रंग-बिरंगी होली रे।।


सास-बहू की कथा अनोखी, सबके मन को भाई रे

ये आत्मीयता रिश्ता कैसा, हर जन को समझाई रे

होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे।।


संस्कृति को जो बढ़ाती, धूमधाम से सबने मनाई रे

वृंदावन की होली देखो, छटा ही जिसकी निराली रे

होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे।।


लाल, पीले गुलाल लगाते, संग रंगरेजों की टोली रे

दुःख, दर्द को जो भुलाती, दिलों को शांति दिलाई रे

होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे।।


रंग नही ये प्रेम रंग है, दुनियां जिनमें समाई रे

जीवों पर जो दया है करते, उनमें खुशियां छाई रे

होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे।।


बोलचाल न जिसके संग में, मिलन उनसे भी कराई रे

क्षणभंगुर सा जीवन होता, सबक जीवन का सिखलाई रे

होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे।।


हर त्यौहार का महत्व अपना, बात सत-असत की बतलाई रे

भेदभाव को सारे मिटाती, सबको संग में लाई रे

होली आई होली आई रंग बिरंगी होली रे।।


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