STORYMIRROR

Rekha Agrawal (चित्ररेखा)

Abstract Inspirational

4  

Rekha Agrawal (चित्ररेखा)

Abstract Inspirational

छोटी सी कोशिश

छोटी सी कोशिश

1 min
267


ईश्वर!

तुम पर कुछ ज्यादा ही

लिखा जाने लगा है

लंबी लंबी चर्चाएं

भाषण व्याख्यान

और अनेकानेक प्रसंग

मैं कुछ समझ नहीं पा रही

एक कोमल सा अहसास

अपना सा स्पर्श

हर मौसम हर रंग में

वक्त के बदलते मिज़ाज में

तुम सदा उपस्थित ही तो हो

तुम पर क्या लिखूं !

अपनों पर क्या आख्यान दूँ!

निराकार रहकर

कभी माता पिता के रूप में

तो कभी गुरु के रूप में

तुम साकार होते चले गए

इस धरा पर नव जीवन के प्रारंभ का

अदृश्य सेतु बन

हर बार अपनी उपस्थिति दर्शाते रहे

और हम मानव

तुम्हारे इस रहस्यमय खेल को

अचम्भित से यूँ ही देखते रहे ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract