शाही स्नान
शाही स्नान
सड़क के एक तरफ
जमा हुए पानी में
नन्ही चिड़ियों का झुंड
फुदक फुदक कर
स्नान कर रहा था
कुछ पंखों को झटकारकर
छींटे उड़ा रहे थे
तो कुछ जल किलोल कर
जलतरंग पैदा कर रहे थे
मन वहीं चिड़ियों के पास रुक गया था
आगे बढ़ते हुए भी
मैं बार बार मुड़ती रही
मुड़ मुड़कर देखती रही
नन्ही चिड़ियों का शाही स्नान
आनंद से सराबोर
तृप्ति से भरपूर
बिना पूर्व तैयारी के
बिना किसी गणना के
उत्सव गीत गाता
जीवन किलोल करता
यह उनका शाही स्नान था
जो मेरे घर से
थोड़ी ही दूरी पर
मौजूद था।
