STORYMIRROR

Rekha Agrawal (चित्ररेखा)

Abstract Classics Fantasy

4  

Rekha Agrawal (चित्ररेखा)

Abstract Classics Fantasy

शाही स्नान

शाही स्नान

1 min
305

सड़क के एक तरफ

जमा हुए पानी में

नन्ही चिड़ियों का झुंड

फुदक फुदक कर

स्नान कर रहा था


कुछ पंखों को झटकारकर

छींटे उड़ा रहे थे

तो कुछ जल किलोल कर

जलतरंग पैदा कर रहे थे

मन वहीं चिड़ियों के पास रुक गया था


आगे बढ़ते हुए भी

मैं बार बार मुड़ती रही

 मुड़ मुड़कर देखती रही

नन्ही चिड़ियों का शाही स्नान

आनंद से सराबोर

तृप्ति से भरपूर


बिना पूर्व तैयारी के

बिना किसी गणना के

उत्सव गीत गाता

जीवन किलोल करता

यह उनका शाही स्नान था

जो मेरे घर से

थोड़ी ही दूरी पर

मौजूद था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract