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संजय असवाल "नूतन"

Abstract

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संजय असवाल "नूतन"

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अलविदा जिंदगी

अलविदा जिंदगी

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चलो अब

अलविदा कहते हैं,

ख्वाहिशें हुई तमाम

उम्मीदों को 

अब संवरने देते हैं,

चलो अब अलविदा कहते हैं,

जो ख्वाब 

रह गए अधूरे

इन आंखों में

उन्हें फिर से बसने देते हैं,

जो प्यास 

रह गई अधूरी 

इन अधरों में

उसे उभरने देते हैं,

चलो अब अलविदा कहते हैं,

जो आस टूटी

इस दिल में

उन्हें फिर पनपने देते हैं,

जो बुझ गई महफिलें

उन्हें फिर सजने देते हैं,

चलो अब अलविदा कहते हैं,

चलो एक बार 

फिर से हम तुम

अजनबी बनते हैं,

चलो एक बार फिर हम

अपनी अपनी राह चलते हैं,

चलो अब अलविदा कहते हैं!!!!


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