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rudraksh sharma

Abstract Inspirational

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rudraksh sharma

Abstract Inspirational

झूला

झूला

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यह बहती हवाएँ

 झूला गई इस खाली 

 झूले को

 साथ पढ़े और सूखे पत्ते व 

 कुछ खिले फूल भी 

 अपनी जगह पर डगमगाने लगे


 आगे पीछे होते झूले में 

 ना कोई आगे बढ़ा नहीं पीछे

 बस एक ही जगह से 

 जीवन का झूला झूलते 

 वह फूल और पत्ते आनंदित 

 उसी हवा के साथ बह गए


 छूटा तो बस वही झूला

 जो कभी फिर ठहर

 इंतजार करें ऐसे ही

 किसी झोंके का ।



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