STORYMIRROR

rudraksh sharma

Abstract Inspirational

3  

rudraksh sharma

Abstract Inspirational

झूला

झूला

1 min
221


यह बहती हवाएँ

 झूला गई इस खाली 

 झूले को

 साथ पढ़े और सूखे पत्ते व 

 कुछ खिले फूल भी 

 अपनी जगह पर डगमगाने लगे


 आगे पीछे होते झूले में 

 ना कोई आगे बढ़ा नहीं पीछे

 बस एक ही जगह से 

 जीवन का झूला झूलते 

 वह फूल और पत्ते आनंदित 

 उसी हवा के साथ बह गए


 छूटा तो बस वही झूला

 जो कभी फिर ठहर

 इंतजार करें ऐसे ही

 किसी झोंके का ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract