दीपक
दीपक


जीवन के दीपक में
बाती मात्र हम
जब संस्कारों के तेल में भीग
जलते हैं
तो फैलाते हैं
प्रकाश महक प्रेम
कभी दूर
किसी के लिए तारा बन
तो कभी साथ दीपक और जला
लोह के रूप में
बस यह संस्कार ही
चमकते महकते फैलते रहते हैं
कुछ बच जाते हैं
तो यह दिए और बाकी
जो फिर
संस्कारों से भर जलते रहेंगे!