STORYMIRROR

rudraksh sharma

Abstract Romance

3  

rudraksh sharma

Abstract Romance

इश्क़

इश्क़

1 min
222


हाँ खो जाना चाहता हूं

इन वादियों में

भूल जाना चाहता हूं

अपनी शख्सियत कहीं


जीना चाहता हूं अपना

किरदार

पाना चाहता हूं वो इश्क

जिसके सहज रूप की

झलक


सीमा में बंध नहीं बल्कि

इस प्रेम की वादी में 

खोकर कर मिलेगी

जहाँ हर नजारा ताजा 

होगा


क्या पता मिल जाये 

मंजिल

जैसे ढूंढ ही लेती है

चिड़िया अपना पेड़।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract