बूढा आदमी
बूढा आदमी
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ठहरे हुए पानी सा
था वह आदमी
देखता था
अपना सफर
उसमे पेड़ की छांह
सूर्य की गर्मी
मछलियों संग
उछल कूद
याद आती थी
जब उतरा था
हिम् से
साथ कई कंकर और
मिट्टी
ले आया था
वह मैला नहीं
सम्पन्न था
नदियां तो कई बहीं
थी इस रास्ते से
पर सबके साथ
वे कंकर कहाँ थे.