इन्सान
इन्सान
किसी के काम जो आए,
उसे इन्सान कहते हैं ।
जो गिरतो को सहारा दे,
उसे इन्सान कहते हैं ।।
अहिंसा सत्य का पालन,
करे बन ब्रम्हचारी जो ।
करे चोरी न हक मारे,
उसे इन्सान कहते हैं ।।
सभी को मान दे जग मे,
करे ना कृत्य जो अनुचित ।
रहे मिलजुल के जो सबसे,
उसे इन्सान कहते हैं ।।
दया जीवो पे जो करता,
ह्रदय अज्ञान तम हरता।
सभी को मानता निज सम ,
उसे इन्सान कहते हैं ।।
सदा सन्मार्ग पर चलता,
प्रभू का ध्यान जो धरता ।
न करता भेद मानव मे,
उसे इन्सान कहते हैं ।।
नही निज हित की खातिर जो,
प्रकृति का नाश करता हैं ।
हरीतिमा को बढाता जो ,
उसे इन्सान कहते हैं ।।
सभी को मान सम समता,
का जो सन्देश देता हैं ।
हरे मजलूम शोषित दुख,
उसे इन्सान कहते हैं ।।