सृजन
सृजन
सृजन संसार मेें अनवरत चलने बाली प्रक्रिया है ।
सृजन सब जीवों को नव पथ दिखाने की क्रिया है ।।
सृजन के बिना सच कहूं जीवन जीना असम्भव है ।
सृजन समाज को नवीन गति दिशा व लक्ष्य देता है ।।
एक अच्छा सर्जक है वही जो उपयोगी सृजन करे ।
सबका हित और कल्याण हो ऐसी सोच पैदा करे ।।
स्वार्थी न बन समाज का वास्तविक चेहरा दिखायें ।
बुराई की करे सदा आलोचना अच्छाई को फैलाए ।।
अपनें सृजन में सत्यं शिवम् सुन्दरम् का भाव लाएं ।
हंसी ठहाके उद्देश्य न हो सृजन कुछ ऐसा कर जाएं ।।
नयी पीढ़ी में हमारा सृजन उत्साह उमंग भी लाए ।
सारे संसार से मूढ़ता दुख दैन्य विवशता मिट जाए ।।
धरा के सभी जीव हो खुश मन से भेदभाव हट जाए।
सार्थक तभी है सृजन जब समाज में बदलाव आए ।।