महाकुंभ
महाकुंभ
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महाकुंभ पर प्रयागराज में मेला लगा है भारी ,
देश विदेश के बाल वृद्ध अरु आए हैं नर नारी ।
सन्त महन्त और ज्ञानी जन आए सहित समाज,
दिव्य भव्य है महाकुंभ यह जिसका सबको नाज।
तीरथपति प्रयाग में मिलती सरस्वती यमुना गंगा ,
अमृत की बूंदों से पावन नीर करें सबको चंगा ।
श्रद्धा भाव से आकर जो भी मां को शीश नवाता ,
मनवांछित फल पाता उसका जन्म सफल हो जाता ।
देव वृन्द भी सूक्ष्म रूप से महाकुंभ को रहे निहार ,
करनी का फल मिलेगा सबको कर्मों के अनुसार ।
सदियों से लगता आया है पावन कुम्भ का मेला ,
पाप शोक हर अति सुखदाई यह मेला अलबेला ।।
