तनया आई महकता आँगन घर बहार। तनया आई महकता आँगन घर बहार।
मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं ! मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं !
जा मिलती सागर मैं पल में विशाल असीम बन जाती। जा मिलती सागर मैं पल में विशाल असीम बन जाती।
दुनिया की हर बुराई को लेकर पानी रहता सदा ही निर्मल है। दुनिया की हर बुराई को लेकर पानी रहता सदा ही निर्मल है।
अवांछित द्रव्यों से भर दिया। अवांछित द्रव्यों से भर दिया।
कहने को तो शिव के शीश में समाई है। कहने को तो शिव के शीश में समाई है।