मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं ! मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं !
इंसान लड़ता है क्या सही क्या ग़लत ओर भुला देता है वह सच। इंसान लड़ता है क्या सही क्या ग़लत ओर भुला देता है वह सच।
मानवता के इस दुश्मन आतंकवाद को कब्र में दफनाना है ! मानवता के इस दुश्मन आतंकवाद को कब्र में दफनाना है !
तेरे मतभेद बन गए मनभेद से और बनने लगे अपनी गृहस्थी में कई कई छेद से तेरे मतभेद बन गए मनभेद से और बनने लगे अपनी गृहस्थी में कई कई छेद से
जो अपरिपक्वता है जो प्रलाप है जो अधर्म है। जो अपरिपक्वता है जो प्रलाप है जो अधर्म है।
तू चाहे तो गदहे को बाप कहलवा दे तू चाहे तो बाप को गदहा कहलवा दे तू चाहे तो पत्थर को पूजनीय बन... तू चाहे तो गदहे को बाप कहलवा दे तू चाहे तो बाप को गदहा कहलवा दे तू चाहे त...