इंसान लड़ता है क्या सही क्या ग़लत ओर भुला देता है वह सच। इंसान लड़ता है क्या सही क्या ग़लत ओर भुला देता है वह सच।
स्फटिक सा निभाती पारदर्शी अपना वो पावन किरदार। स्फटिक सा निभाती पारदर्शी अपना वो पावन किरदार।
तन्हाई जहां है पूरी आजादी मुझे बहुत भाती है मेरी तन्हाई। तन्हाई जहां है पूरी आजादी मुझे बहुत भाती है मेरी तन्हाई।
अजनबी हमेशा ही रहा हूँपर शायद पन्ने ही हमेशा बोल जाते हैं परवाह है ना अपना सकूँ चाँद की चाँदनी को अ... अजनबी हमेशा ही रहा हूँपर शायद पन्ने ही हमेशा बोल जाते हैं परवाह है ना अपना सकूँ ...
जिनके होती पारदर्शी नजर वो बनते जिंदगी में समंदर जिनके होती पारदर्शी नजर वो बनते जिंदगी में समंदर
मैं अनुभव कर सकती हूँ तुम्हारी विराटता का मैं अनुभव कर सकती हूँ तुम्हारी विराटता का