खिड़की बंद पड़ी है कब से, ज़ेहन में भ्रष्टाचार भरा जब से। खिड़की बंद पड़ी है कब से, ज़ेहन में भ्रष्टाचार भरा जब से।
पैसे से ही दोस्ती और पैसे से ही पहचान। पैसे से ही दोस्ती और पैसे से ही पहचान।
अगर नेता नहीं कर्मठ, रहे ईमान भी डगमग उसे तो वोट देना ही, भयंकर भूल-गलती है उजागर घोषणा से है, सरा... अगर नेता नहीं कर्मठ, रहे ईमान भी डगमग उसे तो वोट देना ही, भयंकर भूल-गलती है उज...
पर-अश्रु देख़-कर कुलबुलाये मन, सच्चे मनुष्य की पहचान यही है, तुम्हारे प्रयास से खिले किसी का चेहरा ... पर-अश्रु देख़-कर कुलबुलाये मन, सच्चे मनुष्य की पहचान यही है, तुम्हारे प्रयास से...
आई गई पंज सालां बाद, पंचायती चुनावाँ दी बहार लोको। आई गई पंज सालां बाद, पंचायती चुनावाँ दी बहार लोको।
कुछ तो कद्र करो अजय उनकी तुम्हारी गज़लों के जो मददगार है। कुछ तो कद्र करो अजय उनकी तुम्हारी गज़लों के जो मददगार है।