पैसा और इंसान
पैसा और इंसान
एक दूसरे के पीछे भाग रहे है पैसा और इंसान,
पैसे से ही दोस्ती और पैसे से ही पहचान।
दोस्त को दुश्मन बनाने की ताकत है जिसमें,
दुश्मन को दोस्त बनाये पल भर में।
एक दूसरे के पीछे भाग रहे है पैसा और इंसान,
पैसे से ही दोस्ती और पैसे से ही पहचान।
रिश्ते सब इसके भरोसे छोड़ चले मर्यादा,
वही बने काबिल यहाँ जिसके पास हो ज्यादा।
एक दूसरे के पीछे भाग रहे है पैसा और इंसान,
पैसे से ही दोस्ती और पैसे से ही पहचान।
ओढ़ कर शराफत का लबादा घोटाले होते इसके लिए,
सही गलत गलत सही तय होता है इसके लिए।
कुरूप रूपवान हो बेईमान ईमानदार
निर्बल को ताकत दे पल भर मे।
एक दूसरे के पीछे भाग रहे है पैसा और इंसान,
पैसे से ही दोस्ती और पैसे से ही पहचान।