बाकी है
बाकी है
दिल मिल गए हैं बस इजहार होना बाकी है
बस पल दो पल की मुलाकात होना बाकी है
नजर लेकर बैठी है दिल के हज़ारों सवाल
अब तो गुफ़्तगू की शुरुआत होना बाकी है
जो कह न सकी जुबान लफ़्ज़ों की शक्ल में
उन बातों का मन को एहसास होना बाकी है
किया जाता नहीं इक़रार अब मोहब्बत का
ख़ुद के इश्क़ में भी थोड़ा सा मरना बाकी हैं
तुमसे क्या कहूँ अलफाज़ मिलते नहीं है
बस इस धड़कन में कुछ जुम्बिश बाकी है