अधूरी रह गई
अधूरी रह गई


तेरे-मेरे दरमियाँ कुछ बातें अधूरी रह गई
तेरे बिना कटी थी जो रातें अधूरी रह गई
इस बेरहम वक़्त के आगे कमजोर रह गए
तेरे संग मेरी कुछ शरारतें अधूरी रह गई
खामोशियाँ है इस कदर चुप है धड़कनें भी
कह न सकें अहल-ए-दिल क्या मजबूरी रह गई
देख कर भी अंजान है उनकी उदासियों से हम
दे रहे है खुद को दिलासा बस इतनी दूरी रह गई
कोई शिकायत न हुई फिर भी मिली सज़ा मुझे
देखकर वो आसमान बिखरी सब रज़ा रह गई
मिटा कर ये फ़ासले एक कदम का आओ सही
हमारी कितनी ख़्वाहिशें बे-वक़्त बिखरी रह गई
हो जाने दो आज फिर गुफ़्तगू इन आँखों की
हो जाने दो मुक़म्मल जो मोहब्बत अधूरी रह गई
भीग जाने दो एहसास की बारिश में मुझे भी
लफ़्ज़ों की बारिश बस अब थोड़ी दूर रह गई