बचपन की यादें
बचपन की यादें
बचपन की यादें रंगीन हैं,
खेल-खिलौनों की मधुर मुस्कान हैं।
बारिश की बूँदों में नटखट नाच,
खिलौने लेकर खेलने का संघर्ष।
बचपन की वो यादें, एक ख़ास किताब,
जिसे हम हमेशा दिल के पास रखते हैं।
उन यादों को जगाने, फिर से जीने का ख्वाब,
बचपन के रंगों से हम अपना आयाम बढ़ाते हैं।
बचपन की यादें रंगीन हैं,
मन की धरती पर नग्न खेल रचातीं।
छोटे-मोटे पैरों से उड़ते थे दौड़,
बंदरों की तरह चढ़ते थे पेड़ों में खेलने के लिए।
दिनभर सबको चिढ़ाते थे गलती करके,
फिर भी माफी माँगते थे हँसी लेकर।
चुपचाप स्कूल जाते, छुपकर किताबें रखते,
खुद को बचाने की कोशिश करते।
गुलाबी रंग के गुब्बारे उड़ाते थे आसमान में,
बारिश की बूँदों में नहाते थे मस्ती से।
खेलते रंगों से भरी थी दुनिया हमारी,
खुशियों का रंग बचपन के गीत में था।
बचपन की यादें अब भी जगमगाती हैं,
हर मुसीबत के बाद एक मुस्कान छलकाती है।
जीवन के सफर में ये सपने संग रहते हैं,
बचपन की यादें हमेशा हमारे दिल में बसती हैं।
बचपन की यादें रंगीन हैं,
खेल-खिलौने और गुड़ियों की मिठास भरी हैं।
चांदनी रातों में छाई हंसी,
गलियों में दौड़ती मासूमियाँ भरी हैं।
बचपन की यादें रंगीन हैं,
उड़ान भरी ख्वाबों की उच्चाईयों में बसी हैं।
दोस्तों के संग भीड़ में हंसते खेलने की आदत हैं,
माँ की गोद में सुकून और प्यार की चादर लपेटी हैं।
छुपा लिया करते थे हम अपनी दिल की खुशियों को,
बचपन की यादों में जैसे वो सब आया करते हैं।
खेल-खिलौनों के संगीत में नचता हमारा मन,
वो सबकुछ यादें लेकर हमें नचाती हैं।
घर की छत पर उड़ते चिड़ियों की संगती,
उनकी मासूमियों में छिपी खामोशियों |
पिचकारी की मिठास और गुब्बारों का मौज मस्ती,
अनोखी खुशबू लेकर आती थी |
शरारतें बिना चेहरे की हंसी,
खट्टी मीठी यादों की अपार मिठासी।
बचपन की यादों के संगीत बहुत हैं,
हर बार मन को मोह लेते हैं।
उन बचपन की यादों को याद करें,
वो लम्हें फिर से जीने की आदत बनाएं।
जब दुनिया की जटिलताओं से तंग आएं,
बचपन की आज़ादी को फिर से पाएं।
दौड़ते-फिरते, नचते-गाते,
दोस्तों के साथ हंसते-खेलते।
छोटी-छोटी मस्तीयों में ढूबे,
दिन रात बचपन की खुशियां में डूबे
बचपन की यादें रंगीन हैं,
मस्ती भरे दिनों की चादर,
एक मस्ती भरी दुनिया की आभा हैं।
मन को भाती है ये बेहद प्यारी।
