" शब्दों की रोशनी "
" शब्दों की रोशनी "
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना है। यह उन कहानियों, आवाज़ों और शब्दों को श्रद्धांजलि है जो मानसिक स्वास्थ्य की परछाईं पर प्रकाश डालती हैं।
शब्दों की रोशनी
कभी-कभी…
हम चुप रहते हैं।
अपनी पीड़ा को भीतर दबा लेते हैं।
जैसे कोई तूफ़ान अंदर ही अंदर गूँज रहा हो,
पर बाहर सब ठीक है।
फिर अचानक…
एक कहानी।
एक कविता।
एक आवाज़।
एक शब्द।
जैसे अंधेरे में दीपक जल जाए।
“मैं भी टूटा था।
मैं भी गिरा था।
पर मैं अभी यहाँ हूँ।”
एक वाक्य,
कितनी जिंदगियाँ उठ खड़ी करता है।
एक कहानी,
कितनी आत्माएँ सहारा पाती हैं।
हमारी किताबें, डायरी, नोट्स, कविताएँ…
ये सिर्फ शब्द नहीं।
ये हाथ हैं।
जो हमारी पीड़ा को पकड़ते हैं।
हमारे डर को समझते हैं।
और धीरे-धीरे उसे रोशनी में बदलते हैं।
जब मन की दीवारें ऊँची लगती हैं…
और अँधेरा घना लगता है…
शब्द वहाँ पहुँचते हैं।
जैसे कोई कह रहा हो—
“तुम अकेले नहीं हो।
मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
तो हम लिखते हैं।
हम बोलते हैं।
हम साझा करते हैं।
हर कहानी।
हर आवाज़।
हर कविता।
ये मिलकर बन जाते हैं—
अंधेरों की राह में टिमटिमाती रोशनी।
आओ…
हम सुनें उन आवाज़ों को,
जिन्होंने कभी खुद को सुना नहीं।
आओ…
हम पढ़ें उन शब्दों को,
जिन्होंने कभी खुद को व्यक्त नहीं किया।
क्योंकि हर शब्द…
हर कहानी…
हर आवाज़…
ये सिर्फ़ शब्द नहीं।
ये हैं ज़िंदगी के दीपक।
जो mental health के अँधेरों में भी
उजाला फैलाते हैं।
