कोरोना से न मानेंगे हार, हम फिर पकड़ेंगे रफ्तार...
कोरोना से न मानेंगे हार, हम फिर पकड़ेंगे रफ्तार...
हमने पैरों में छाले देखे,
कुछ पेट बिन निवाले देखे,
इस बीच कुछ छोड़ चले, जीवन की मझदार,
देख ये, आँखों से भय रहे थे आँसू ,बारम्बार,
चलने की फिर भी न रुकी रफ्तार..
अपनो ने अपनो को खोया,
ये देख आसमान भी रोया।
कितने मासूमों ने भी झेला ये अत्याचार,
फिर भी डिगी रही हौसलो की ये दीवार।
हम सपनों को, फिर अपना बनाएंगे,
उम्मीद की लो, फिर हर मन में जगायेंगे।
आत्मनिर्भर बने भारत,
ये भार भी हम, अपने कंधो पर ही उठाएंगे।
फिर होगा एक नया भारत तैयार।
कोरोना से न मानेंगे हार, हम फिर पकड़ेंगे रफ्तार।