Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

divya prajapati

Tragedy

4  

divya prajapati

Tragedy

मैं और तुम

मैं और तुम

1 min
293


तुम मुझे परिभाषित करते हो

परिधि में बांधने के लिए

और मैं उस परिधि को लांघती हूं 

उस परिभाषा को खुद परिभाषित करती हूं 

फिर तुम रेखाओं को और गहरा करते हो

और मैं उन रेखाओं को विभाजित करती हूं

फिर तुम मेरी धुरी तय कर देते हो

और मैं उस धुरी पर जीवन भर चलती रहती हूं

फिर शुरु होता है अस्तित्व का युद्ध 

जिसे मैं खुद मे लड़ती हूं

पर मौन रहती हूं 

और तुम सोचते हो कि तुम जीत गए

पर मेरा अंतर्मन तुम्हें धिक्कारता है 

और धिक्कारता है तुम्हारी दी परिभाषा को 

जो तुम्हारी कुंठित मानसिकता का परिणाम है 

काश!!!! 

मुझे लिखने के बजाय तुमने खुद को पढ़ा होता

तो मेरी परिधि तय नहीं होती

और ना ही मैं परिभाषित होती

मेरा मौन मूक नहीं है 

ये गूंज है तुम्हारी हार की 

जो परिणाम है 

मेरे परिणाह का।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy