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Paramjeet singh

Tragedy

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Paramjeet singh

Tragedy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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जिन्हें ज़िंदगी में बसाने लगे ।

वही आज दिल को जलाने लगे।।


न जिनको कदर थी हमारी कभी।

हमें देख आंँसू बहाने लगे।।


जिन्हें देखते थे सुबह शाम हम।

वही आज  नजरें चुराने लगे।।


हमें जख्म देकर जिन्हें थी खुशी।

वही दर्द अपना सुनाने लगे।।


जिन्हें प्रेम का पथ सुहाता नहीं।

वही प्यार हमको सिखाने लगे।।


शिखर चूमने का दिया हौसला।

वही सिर हमारा झुकाने लगे।।


जिसे हम बचाने चले ऐ ख़ुदा।

ज़हर वो हमें ही पिलाने लगे।।


सहारा दिया था जिन्हें प्यार से।

वही लोग हस्ती मिटाने लगे।।


दिए जख्म जिसने हमें उम्र भर।

भुलाने में उसको जमाने लगे।।


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