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Kanchan Prabha

Abstract Tragedy Inspirational

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Kanchan Prabha

Abstract Tragedy Inspirational

काला धुआँ

काला धुआँ

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फैल रहा जो आज जहां में 

इतना प्रदूषण।

मानव समझ रहा नहीं 

स्वच्छ भारत का डेफिनिशन 

देता है मानव ही इनको 

हमेशा इनविटेशन 


क्या फायदा ले कर 

मानव को एजुकेशन 

फैल रहा जो आज जहां में 

कितना प्रदूषण।


बिजली माइक से करता है 

अपने घर का डेकोरेशन 

और कर रहा रोज-रोज 

खुश होकर सेलिब्रेशन 

मानव समझ नहीं रहा है 


भविष्य का कंडीशन 

फैल रहा जो आज जहां में 

कितना प्रदूषण ।

बढ़ा रहा है हर साल 

इस जग का पॉपुलेशन 

लेलो धरा के मानव 


अब तो थोड़ा सा अटेंशन 

देना ना पड़ जाए 

उस दुनिया में एक्सप्लेनेशन 

फैल रहा जो आज जहां में 

कितना प्रदूषण।


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