आहिस्ता आहिस्ता
आहिस्ता आहिस्ता


आहिस्ता आहिस्ता बहारें आईं,
ख़्वाबों की क्यारी मुस्काई।
नरम किरणों ने छू लिया मन,
सूरज ने सोने की चादर बिछाई।
आहिस्ता आहिस्ता झरनों ने गाया,
कलियों ने हौले से सर को झुकाया।
हवा ने गुपचुप गीत सुनाया,
पत्तों ने धीमे से संग लहराया।
आहिस्ता आहिस्ता बदले मौसम,
धूप सुहानी, छाँव सलोनी।
रंग नए जीवन के जागे,
महकी फिर से हर एक कोनी।
आहिस्ता आहिस्ता मन भी बदला,
ग़म के बादल धीरे छँटने लगे।
उम्मीदों के दीप जले जब,
सपने फिर से निखरने लगे।
आहिस्ता आहिस्ता सब सँवरता,
धीरज रख बस चलते जाओ।
रात के बाद सवेरा आता,
जो जीवन में रौशनी फैलाता