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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Fantasy

4  

Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Romance Fantasy

मैं मिलूंगा

मैं मिलूंगा

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मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

याद जब भी करो चाहे 

जब भी पुकारो दिल की

गहराई यादों की परछाई में।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये 

तुम्हारे प्यार की गलियों में

तुम्हारे चाहतों की राह में

तुम्हारी खुशियों मुस्कान में।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

तेरे इश्क इबादत में

तेरे हुस्न के बहार में

तेरे हुस्न इश्क के चाँद चाँदनी की

ठंढी छाँव में तेरे नज़रों की नूर में ।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

हुस्न ढल जाएगा तेरा ही

चेहरा जवां जज्बे का गुरूर

आईना देख शर्मायेगा तेरे

अरमानों का सूरज शाम को

जायेंगे तन्हा तेरा वजूद मेरे

दिल दामन का हिस्सा रह जाएगा।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

जवां दिल की आग शोलों में

शबनम की बूँद प्यार के खुमार

में भौंरों के गुंजन गान में 

गुलशन गुलज़ार में।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये 

जिंदगी के दर्द गम में आंसू की 

बूँद में तेरे दर्द गम आंसू को

समेटते तेरे दामन से दर्द आंसू

आरजू के आसमान के परिंदों

परवाज़ में।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

जिन्दगी के तूफ़ान भँवर में

लड़खड़ाती कश्ती के पतवार में

जिंदगी के वीरानियों रेगिस्तान में।। 


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये 

तेरी हर साँसों धड़कन जान में

तेरी बचपन से जवानी की राह में

तेरे हर जज्बे जज्बात में

तपिश सर्द सावन की फुहार 

बासंती बयार में।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये 

जिंदगी की मस्ती हस्ती के

हर हद हसरत मुकाम पे

हर उमंग तरंग अंदाज़ आवाज़ में।।


मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

जिंदगी के हर लम्हों सुबह

शाम दिन रात जिंदगी के साथ

इंतज़ार इज़हार में जिस्मानी

जिंदगी में साथ।।


 मैं मिलूंगा तुम्हें वहीं प्रिये

जिस्मानी जिंदगी के रुखसती में

रूहानी जिंदगी के रूह में करम

धरम की जिंदगी में या कयामत

और खुदा का करते इन्तज़ार।।



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