खुशबू वो रूहानी थी या मौजों की रवानी थी... खुशबू वो रूहानी थी या मौजों की रवानी थी...
कैसे लिखूं मैं पूरी कहानी उस अधूरे बंधन के ओ साथी मन के कैसे लिखूं मैं पूरी कहानी उस अधूरे बंधन के ओ साथी मन के
ना देखें कभी शक भरी निगाहों से.. दिल से दिल का एहसास समझे। ना देखें कभी शक भरी निगाहों से.. दिल से दिल का एहसास समझे।
कब तक दूसरों की उम्मीदें को पूरा करती रहोगी , कभी खुद की उम्मीदों पर खरी उतर कर तो देख ।। कब तक दूसरों की उम्मीदें को पूरा करती रहोगी , कभी खुद की उम्मीदों पर खरी उतर कर...
उनसे हुई मुलाक़ात उनसे हुई मुलाक़ात
मैं न कहती थी इश्क है ज़िंदा आज भी। मैं न कहती थी इश्क है ज़िंदा आज भी।