जो बोया वो काटा
जो बोया वो काटा
जो जैसा फ़सल कर्म कि
बोता उपज वहीं काटता
मुठ्ठी बांधे जन्म लेता!!
हाथ पैसारे काया छोड़
कर्मो कि थाती कि शय्या
पर जाता!!
सृष्टि का मर्म यही है
आदि अनंत सत्य यही है
जो आया वह जाता है!!
फिर काल समय वक़्त
कि गति निरंतर मे नव नव
प्रभात आ जाता है!!
कल का सूर्योदय अतीत हो
जाता है सिर्फ सूरज के रहने
ना रहने कि गर्मी नरमी सौर्य
कर्म पराक्रम रह जाता है!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!
