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Neerja Gupta

Abstract

4.8  

Neerja Gupta

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छोटी-सी ज़िंदगी

छोटी-सी ज़िंदगी

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जीवन में आप कितने खुश हैं ये महत्वपूर्ण नहीं है !

बल्कि आपकी वजह से कितने लोग खुश हैं ये महत्वपूर्ण है !

जीवन में मुश्किलें हैं अपार, फिर भी चेहरे पर

मुस्कान लिए जीना ही है ज़िंदगी !

जीना खुश रहने का है नाम तो फिर

चेहरे पर मुस्कान लेकर जीने में है क्या नुकसान !

किसी और को खुश करने के प्रयास ही है असली खुशी।


कुछ लोग जहाँ भी जाते हैं, वहाँ अपने संग खुशियाँ ही लाते हैं

और कुछ जब जाते हैं, तब भी खुशियाँ ही बाँटकर जाते हैं।

खुश रहने की कला आम चीजों से खुशी

निकालने की शक्ति में ही तो निहित है

तुम जहाँ भी जाओ, प्यार फैलाओ। किसी को,

कभी भी खुश किए बिना वहाँ से न आओ।


ज़िंदगी की भागदौड़ के

बीच में से,

छोटी-छोटी खुशियाँ चुराना सीख लें।

यह ज़िंदगी छोटी- सी है इसे हँसकर,

मुस्करा कर बिताना सीख लें।

यही खुशियाँ ही तो जीने का सहारा बनती हैं,

ख्वाहिशों का क्या वो तो पल-पल बदलती हैं ।


छोटी-सी ज़िंदगी है, हर बात में खुश रहो

जो चेहरा पास ना हो, उसकी आवाज़ में खुश रहो

कोई रूठा हो तुमसे, उसके इस अंदाज़ में खुश रहो

जो लौट कर नहीं आने वाले, उन लम्हों की याद में खुश रहो

कल किसने देखा है, अपने आज में खुश रहो

खुशियों का इंतज़ार किस लिए, दूसरों की मुस्कान में खुश रहो


क्यों तड़पते हो हर पल किसी के साथ को,

कभी-कभी अपने आप में खुश रहो

छोटी-सी तो ज़िंदगी है, हर हाल में खुश रहो।


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