मेरी गुड़िया मेरी दुनिया
मेरी गुड़िया मेरी दुनिया
मेरी गुड़िया मेरी दुनिया
तुम्हें पता है न कि तुम हमारे घर की रौनक हो, घर से क्या गई तुम, उसे भी अपने संग ले गई हो
अब तो हर तरफ चुपी और सन्नाटा है, गुड़िया तुम्हारे कमरे में अब कोई नहीं जाता है
देखना! जहां जो छोड़ा था वहीं पर ही उसे पाओगी, लौट कर जब भी तुम घर आओगी
मम्मी मैं अभी जा कर आती हूं, यह आवाज़ अब कहीं से नहीं आती है
अब कोई नहीं कहता कि
खाने में क्या बनाया है, आज क्या खिलाओगी,
मुझे आज यह नहीं खाना, मम्मी क्या कुछ और ऑप्शन बताओगी
ऐसा कोई दिन न बीतता है न कोई रात जाती है
जिस दिन मेरी गुड़िया,मेरी दुनिया, तुम्हारी याद न आती है
तुम्हें भेजते ही उस पल से ही, इन आंखों ने छम छम आंसुओं की झड़ी लगाई है
ऐसा लगा मानो किसी ने मेरे दिल से, मेरी धड़कन ही चुराई है
उस एक ही रात में ऐसा लगा, मानो तुमसे बिछड़े हुए कई साल गुज़ार लिए हों
और अब तो आलम यह है कि
दिन तुम्हारी एक झलक देखने के इंतज़ार में कट जाता है
रात तुम्हें देखने के बाद, तुम से की बात की खुशी में सुख से बीत जाती है
अगले दिन फिर से इसी सिलसिलले की शुरूआत हो जाती है
मिनट बीते, घंटे बीते, फिर दिन बीते और अब तो महीने बीतते जा रहे हैं
क्या करूं बेटा ,मां हूं न
तुमने वहां न जाने क्या पीया क्या खाया होगा? यह फिक्र हर बार सताती है
खुद को खूब समझाया है, कि मैंने ही तो तुम्हें अपने से दूर
एक नए जीवन की शुरूआत करने,, बाहर की दुनिया में पहुँचाया है
पंख दिए हैं तुम्हें बेटा, तुम जितनी चाहो,खूब उतनी ऊंची उड़ान भरो,
दिन रात यही उस रब से दुआ मांग रही हूं कि
ज़माने भर की खुशियां दे दें तुम्हें और तुम्हारे सारे दुख दर्द मेरी झोली में भरना
एक मां के आंचल की तरह, अपने साए में हे प्रभु!
मेरी बिटिया, ,मेरी दुनिया को हर बुरी नज़र से आप बचाए रखना ।