देती है कभी मार, तो करती है कभी पर्याय यह किस्सा है अनोखें प्यार का, इसे कौन भला समझाए ! देती है कभी मार, तो करती है कभी पर्याय यह किस्सा है अनोखें प्यार का, इसे क...
नई दिशा ये मांग रही है, फैला कर अपना आंचल, विधि पर निर्भर प्रगति चाक में, कहती कुछ लाओ हल-चल क्यों ज... नई दिशा ये मांग रही है, फैला कर अपना आंचल, विधि पर निर्भर प्रगति चाक में, कहती क...
उस दिन जब दुनिया ने मिलकर प्रेम-पर्व मनाया था , नफ़रत ने भी पुलवामा पर मायाजाल फैलाया उस दिन जब दुनिया ने मिलकर प्रेम-पर्व मनाया था , नफ़रत ने भी पुलवामा पर म...
रश्मियों के .... रथ पर होकर सवार ! तब खिलखिलाएगी उसकी सुनहरी किरणें पाकर उनको रश्मियों के .... रथ पर होकर सवार ! तब खिलखिलाएगी उसकी सुनहरी किरणें ...
एक बार बचपन जीना चाहती थी। एक बार बचपन जीना चाहती थी।
जाने कब बड़े हो गए। जाने कब बड़े हो गए।