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Pooja Yadavrao Bhange

Others

4.4  

Pooja Yadavrao Bhange

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माँ की ममता...

माँ की ममता...

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कैसी है यह माँ की ममता, कुछ भी न समझ में आए

देती हैं कभी गालियाँ, तो लेती है कभी बलैया ‌...

की ममता अनोखी है, उसे कोई समझ न पाए !


इतना सा है माँ का आंचल, पर सारा गगन समाए,

उस आंचल में खेलकर बच्चा, सपनों में खो जाए

सुकून की नींंद सोने जाए और परियों के संंग खेल रचाए

‌माँ का सुकून अनोखा है, उसे कैसे हम समझाए !


‌देती है कभी मार, तो करती है कभी पर्याय

यह किस्सा है‌ अनोखें प्यार का,

इसे कौन भला समझाए !


‌किसीने मुझे डांटा तो, गुस्सा‌ सिर‌ को चढ़ जाए

‌पर जब माँ मारती‌ हैं बच्चों को‌‌,

तब शरीर ही लोहा बन जाए !


यह रिश्ता है अनोखे प्यार का

मां और बच्चों का,

कौन होगा‌‌‌‌ भला इस दुनिया में,

जो इस रिश्ते को समझाए !!!


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