भाग कोरोना , भाग !
भाग कोरोना , भाग !
कारोना, कोरोना, अरे ओ कोरोना !
इतना भी तुझे क्या है जल्दी,
थोड़ा दूर से बोलो ना...
तेरे आने से देशों में सारे,
सन्नाटा हैं छा गया ,
हँसता - खेलता परिवार,
मिनटों में ही रो दिया...
जिम्मेदारियां उठाते-उठाते,
बेटे कहीं पर खो गए,
राह देखते माँ - बाप
बिन - बोले ही गुजर गए...
भारतीय संस्कृती को मेरे
ग्रहण तो तेरा लग गया,
गले तो मिल न सका कोई
शमशान घाट तक भी ना सका..
बस हुआ अब तेरा ये खेला
जनता को मत समझ तू अकेला,
मिल गये हैं हाथों में हाथ
कर देंगे अब तुझे बर्बाद...
डॉक्टरों को मत समझो इंसान
वो तो रब का स्वरूप है,
थम ले जो एक बार,
कर देंगे तेरा काम तमाम...
देख खाकी वर्दी पहनकर,
भारत की सेना आई है,
शेरों से ना बच पायेगा अब तू
मिट्टी में मिल जायेगा...
अब किससे आशा करते हो
तुझे कोई न बचाने आयेगा,
तेरी हांता आई तुझे बुलाने
उसके संग जा, भाग !
भाग कोरोना ! भाग !