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Archana kochar Sugandha

Tragedy

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Archana kochar Sugandha

Tragedy

शिकार

शिकार

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शेर के घातक जबड़े 

शिकार की तलाश में कसे हैं । 

गिरफ्त में आया शिकार

है मासूम और लाचार ।


सुनकर शेर की 

ह्रदय विदारक दहाड़ 

वह सहम गया 

कैसे जी पाएगा अब वह

जब तन का होगा चीर-फाड़ ।


शिकार, शिकार हो गया 

पर, खून की 

एक बूँद भी नहीं निकली

शेर के जबड़े भी 

खून रहित अभी भी कसे है। 


शेर ने शिकार को खाया नहीं 

बस उसकी मासूमियता और लाचारी को

अपने मजबूत जबड़े में जकड़कर

बदनियति के भ्रष्ट नजराने में

खून बहाए बिना, 

उसे लूटा-खसोटा 

और जी भर कर

उसका खून चूसा ।


सता के मद में 

वह दहाड़ता

मैं जंगल का राजा 

राज करना मेरी तकदीर में है 

नुचना और लुटना 

तुम्हारे भाग्य की विडंबना।


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