बातों-ही-बातों में
बातों-ही-बातों में
बातों-ही-बातों में हुई, यहां बातें हैं
इन्हीं से हसीं, इन्हीं से तन्हां रातें हैं।
बातों-ही-बातों में, निकला सॉल्यूशन है
कहीं इन्हीं से फैला, पॉल्यूशन है ।
बातों-ही-बातों में हुई, हलचल है
बड़ी गहरी धंस गई बातें, घनी दलदल है।
बातों-ही-बातों में, गले मिले गैर है
मीत-प्रीत बने वैरी, बस बातों के वैर हैं।
बातों-ही-बातों में, धोखा दे जाते हैं
हींग लगे ना फिटकरी, रंग चोखा दे जाते हैं।
बातों-ही-बातों में, खंजर छल-बल हुए
बदले वक़्त ‘औ’ हालात में, अपनी बातों के कल हुए।
बातों-ही-बातों में, परवान चढ़ी जिंदगी की गाड़ी हैं
बैठ नहीं पाया जो बातों की गाड़ी में, वो अनाड़ी है
