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Archana kochar Sugandha

Others

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Archana kochar Sugandha

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बातों-ही-बातों में

बातों-ही-बातों में

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बातों-ही-बातों में हुई, यहां बातें हैं 

इन्हीं से हसीं, इन्हीं से तन्हां रातें हैं।


बातों-ही-बातों में, निकला सॉल्यूशन है 

कहीं इन्हीं से फैला, पॉल्यूशन है ।


बातों-ही-बातों में हुई, हलचल है

बड़ी गहरी धंस गई बातें, घनी दलदल है। 


बातों-ही-बातों में, गले मिले गैर है

मीत-प्रीत बने वैरी, बस बातों के वैर हैं।


बातों-ही-बातों में, धोखा दे जाते हैं 

हींग लगे ना फिटकरी, रंग चोखा दे जाते हैं। 


बातों-ही-बातों में, खंजर छल-बल हुए

बदले वक़्त ‘औ’ हालात में, अपनी बातों के कल हुए।


बातों-ही-बातों में, परवान चढ़ी जिंदगी की गाड़ी हैं 

बैठ नहीं पाया जो बातों की गाड़ी में, वो अनाड़ी है


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