लिखने में हद से भी ज्यादा जुनूनी
इसके जर्रे-जर्रे ने दिल से नाता जोड़ा था । इसके जर्रे-जर्रे ने दिल से नाता जोड़ा था ।
वसुधैव कुटुंबकम वसुधैव कुटुंबकम
जीवन जीने के सलीके इसी दुनिया से निकलकर आए हैं। जीवन जीने के सलीके इसी दुनिया से निकलकर आए हैं।
उजाले में दीपदान करूं रवि के तेज में, रोशनी कहीं खो जाती हैं। उजाले में दीपदान करूं रवि के तेज में, रोशनी कहीं खो जाती हैं।
पढ़ लिखकर जब तुम अफसर बन जाओगी तब सज-संवरकर, दफ्तर जाना । पढ़ लिखकर जब तुम अफसर बन जाओगी तब सज-संवरकर, दफ्तर जाना ।
फिर से जिंदा हुई बात धीरे-धीरे बतंगड़ बनकर जी का जंजाल बन गई । फिर से जिंदा हुई बात धीरे-धीरे बतंगड़ बनकर जी का जंजाल बन गई ।
बातों-ही-बातों में हुई, यहां बातें हैं इन्हीं से हसीं, इन्हीं से तन्हां रातें हैं। बातों-ही-बातों में हुई, यहां बातें हैं इन्हीं से हसीं, इन्हीं से तन्हां राते...
काश! मैं मस्त पवन का झोंका होती। काश! मैं मस्त पवन का झोंका होती।
मनमीत मिलते हैं दिल के मुरझाएं पुष्प खिलते हैं मनमीत मिलते हैं दिल के मुरझाएं पुष्प खिलते हैं
अभिमन्यु का व्यूह भेदन हूँ कौरवों का अति वेदन हूँ। अभिमन्यु का व्यूह भेदन हूँ कौरवों का अति वेदन हूँ।