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Archana kochar Sugandha

Others

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Archana kochar Sugandha

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बातों की बात

बातों की बात

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बातों में हुई साधारण बात 

खत्म हो गई थी।

पोस्टमार्टम करके 

कर दिया था 

उसका अंतिम संस्कार।


पर बात का 

मोह नहीं छोड़ पाए 

और उसके अवशेष 

चुन लिये ।


जब-तब अवशेष में 

हाथ मारकर 

उसकी कालिख को 

इधर-उधर लगाकर 

मृत बात को 

जिंदा कर लेते ।


फिर से जिंदा हुई बात 

धीरे-धीरे बतंगड़ बनकर 

जी का जंजाल बन गई ।


उसका गला दबाकर 

गंगा विसर्जन करना 

चाहा ।


लेकिन वह हमसे 

संभली नहीं 

और हमारा ही 

गला दबाने पर 

उतर आई।



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