लिखने में हद से भी ज्यादा जुनूनी
Share with friendsजिंदादिली के नारे लिखता हूँ आँखों देखे नजारे लिखता हूँ लगाई-बुझाई पर कौन करें यकीन मैं केवल दर्द हमारे-तुम्हारे लिखता हूँ । अर्चना कोचर
जब बड़ी मुश्किलों से गुजारा होता था पास अपनों की दौलत का जमावड़ा होता था। जबसे दौलत का पिटारा खुला है अपनों का साथ नपा-तुला हैं। अर्चना कोचर
जानती हूं एक सौदागर को जो हर घड़ी मौत का सामान बाँटता है दौलत का शहंशाह केवल जिंदगी के इम्तिहान बाँटता है । अर्चना कोचर
ए दोस्त गिले-शिकवों में कमी ना थी आँखों में उसके कभी नमी ना थी लगाई-बुझाई की फितरत यत्न कर हारी मगर डोर दोस्ती की कभी थमी ना थी । अर्चना कोचर ©️
ए दोस्त गिले-शिकवे बहुत है मगर मोहब्बत भी कम नहीं है पढ़ ली जाती है चेहरों की बनावट अहसास के आभास भी कम नहीं है। अर्चना कोचर