अकेले राहों पर
अकेले राहों पर
चल रहे हैं अकेले राहों पर,
इस बात से हमको ग़िला नहीं
देता दूर तक जो साथ मेरा,
वो शख़्स हमको मिला नहीं
पल भर को हम सहमें थे मगर,
लिया जो फ़ैसला उसे कोई हिला सकता नहीं
पा ही लेंगे मंज़िलें कुछ और अलग ही सही,
बस चलते रहना है अब कभी थकना नहीं
मुमकिन है वक़्त हमें किसी मोड़ पर मिला दे मगर,
वो वक़्त क्या होगा, कब होगा कुछ पता नहीं
न तेरा ज़िक्र करूँ मैं, न कोई दुआ करूँ
फ़ैसला छोड़ दिया है उस पर, जिसे मैं जानता नहीं
रुख़सत हुई है मुझसे, ज़िंदगी तुझे पहचाना नहीं
वो कितना क़रीब था मेरे, उसने कभी ये जाना नहीं
ये ज़िंदगी है, इम्तिहां लेती है मगर
हारना है फिर जीतना है - केवल हार जाना नहीं
माना कि जिंदगी के शोर में तेरी धड़कनें कुछ कम सुनाई दीं
ये भी जानता हूँ मुझे मनाना था, तुझसे रूठ जाना नहीं,
बेवफ़ा थे फिर भी रखा है ताल्लुक़ तुमसे
मतलब इज़्ज़त की चाहत से था - आबरू गँवाना नहीं,
कह भी दोगे तुम, कि मेरे हो ग़र
ऊब चुके हैं ख़ुद से, अब किसी से दिल लगाना नहीं।

