लौट आओ
लौट आओ
मेरी मोहब्बत ! तुझे दिल-ओ-जान से प्यार करते हैं,
लौट आओ कि हम तेरा इंतज़ार करते हैं,
मजबूरियाँ जो भी हों - सब क़ुबूल है हमको,
तेरी वफ़ा पे हम एतबार करते हैं,
तुझे पाना जैसे सांसों का मिलना था मुझे,
मेरी जाना तुझ पे जान-निसार करते हैं,
हँसती हो जो दुनिया इसका भी ग़म नहीं मुझको,
रहने दो - ये तो लोग हैं बातें हज़ार करते हैं,
अपने अपने हिस्से की बाँट ली सज़ाएं हमने,
चलो साथ मिल कर अब ग़म गुज़ार करते हैं,
ये माना कि खुशियाँ दे न सके हम तुझको !
सज़ा जो भी मुकर्रर करो, ख़ुद को गुनहगार करते हैं,
तुझे खबर नहीं शायद तेरे तसव्वुर से रोज़ मिलते हैं,
तुझसे ही तेरी शिकायत हर-बार करते हैं,
लौट न सकोगे ज़िंदगी में फ़िर, ये जानते हैं हम,
जाने किस उम्मीद में कोशिश बेकार करते हैं,
कुछ सवाल तेरे भी है कुछ सवाल मेरे भी,
जानते हैं जवाब मगर फिर भी - हम दिल को बीमार करते हैं,
ये जो तेरी खामोशियां कह रहीं हैं हमसे,
कुछ तो करो इज़हार दिल का - हम इक़रार करते हैं
अब शायद और तुझसे जुदा रह न पाएँ हम
एक जिस्म होकर हर फासला दरकिनार करते हैं।

