प्रेम का बंधन - रक्षाबंधन
प्रेम का बंधन - रक्षाबंधन
हाथ पे बांधा है जब बहन ने - प्रेम का धागा
क्यूँ समझे जीवन में कोई ख़ुद को एक अभागा,
प्यार और विश्वास की तरंग से बना है ये बंधन
नई ऊर्जा नए उमँग के साथ आया है रक्षाबंधन !
राखी सी झिलमिलाहट तेरे जीवन में सदा रहे
ख़ुशियों में खेले तू सदा, न कभी ग़मज़दा रहे
गंगा से भी पवित्र ये रिश्ता हमारा
बना रहे यूँ ही सदा - सुन ले यारा
आँखों में पढ़ लेती हो सब दिल की बातें
करती हो वो - जो सब कर नहीं पाते
एक हो तो गिनाऊं मैं ये एहसान तेरा
होमवर्क तक कर देती थीं तुम बचपन में मेरा
भाई बहन से हम जैसे सिस एंड ब्रो हो गए
रिश्ते भी अब चीज़ों की तरह यूज़ एंड थ्रो हो गए,
तुम मगर रहना सदा मेरे दिल के क़रीब
वरना समझूँगा ख़ुदको, दुनियाँ में सबसे ग़रीब
याद आ गए, साथ बिताये वो सारे पल मुझे आज
करता हूँ वादा फिरसे - तेरी सदा रखूँगा लाज.
